गुजरे है इस मुकाम...
गुजरे हैं इश्क़ में हम इस मुकाम से
नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से
हम वह नहीं जो मोहब्बत में रो कर के
जिंदगी को गुजार दे...
अगर परछाई भी तेरी नजर आ जाए
तो उसे भी ठोकर मार दें।
तेरी नफरतों को प्यार...
तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सीखा देता।
नफरत वालों का प्यार...
नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं मुझसे,
जब भी मिलते है कहते हैं कि तुझे छोड़ेंगे नहीं ।
नफरत बता रही है...
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है...
तूने मोहब्बत गज़ब की की थी।
मुझे तेरी थी आरज़ू...
वो वक़्त गुजर गया... जब मुझे तेरी आरज़ू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए तो मैं सज़दा न करूँ।
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