दर्द-ए-दिल
दर्द का साज़ दे रहा हूँ तुम्हे,दिल का हर राज़ दे रहा हूँ तुम्हे
ये गज़ल-गीत सब बहाने हैं,
मैं तो आवाज़ दे रहा हूँ तुम्हे!
😘😘😘😘😘😘
शिद्दते दर्द में ना आई कोई भी कमी,
दर्द फिर दर्द रहा ,उल्टा लिखा सीधा लिखा “
😘😘😘😘😘😘
दर्द अब इतना की संभलता नही है, तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है
अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे, तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है
😢😢😢😢😢
मत कर कोशिशे मेरे अजीज मेरे दर्द को समझने की …
तू इश्क कर , फिर चोट खा , फिर लिख दवा मेरे दर्द की
😢😢😢😢😢
“बात करनी थी, बात कौन करे
दर्द से दो-दो हाथ कौन करे
हम सितारे तुम्हें बुलाते हैं
चाँद न हो तो रात कौन करे
दर्द-ए-दिल
कोई हमदर्द ना,कोई भी दर्द ना था,
हमदर्द
अचानक एक हमदर्द मिलाफिर उसी से हर दर्द मिला
दर्द छुपाते
लोग कहते है हम मुस्कराते बहुत है…और हम थक गए दर्द छुपाते छुपाते
इंसान कहते
किसी के काम जो आये उसे इंसान कहते है ,पराया दर्द अपनाये उसे इंसान कहते है।
रूला दिया
आज उसने एक बात कहकर मुझे रूला दिया… जब दर्द बरदाश नही कर सकते तो मोहब्बत क्यों की..!!कलम
ये कलम भी कमबख्त बहुत दिलजली हैं। ?जब जब भी मुझे दर्द हुआ ये खूब चली हैं
तस्वीर
“ना तस्वीर है उसकी जो दिदार किया जाऐ,ना पास है वो जो उससे प्यार किया जाऐ,
ये कैसा दर्द दिया उस बेदर्द ने,
ना उससे कुछ कहा जाऐ..ना उसके बिन रहा जाऐ..”
ग़म का तूफ़ान
आरज़ू यह नहीं कि ग़म का तूफ़ान टल जाये;फ़िक्र तो यह है कि कहीं आपका दिल न बदल जाये;
कभी मुझको अगर भुलाना चाहो तो;
दर्द इतना देना कि मेरा दम निकल जाय.
दर्द
कौन से लफ्ज़ में मैं दर्द की सदा लिखूंकिस तरह मैं अपने ही दिल को बेवफा लिखूं
दर्द –ए– दिल
वही रंज़िश, वही हसरत, वही चाहतना ही दर्द –ए– दिल में कमी हुई …
अज़ीब सी है मेरी ज़िन्दगी ए*शीन
ना गुज़र ही सकी ना खत्म हुई ..!!
दर्द –ए– दिल
ना किया कर अपने दर्द-ए-दिल को शायरी में बयां..लोग और टूट जाते हैं…हर लफ़्ज को अपनी दांस्तान समझकर..।।
दर्द –ए– दिल
किस्मत के तराज़ू में तोलो,तो फ़कीर हैंहम.. और दर्द-ए-दिल में, हम सा कोई नहीं..
दर्द –ए– दिल
एक तरफ प्यार हमे करते हो, एक तरफ रूलाते क्यूँ हो?मेरे दर्द-ए-दिल के अफसाने पर मुस्कुराते क्यूँ हो?
दर्द –ए– दिल
हम पर सौ जुल्म-ओ-सितम किजिये …….बस एक बार मिलकर दर्द-ए-दिल की दवा किजिये ……
दर्द –ए– दिल
देख लिया हमने हर बार हर दफ़ा कर के …. बस दर्द-ए-दिल ही पाया है वफ़ा कर के !!तुम्हारा है
ज़मीन है हम यह आसमान तुम्हारा हैदिन है सभी का पर यह शाम तुम्हारा है
पत्थरों की मूरत में दब गयी है ज़िंदगी मेरी
दर्द-ए-दिल
किन लफ़्ज़ों में बंया करूँ दर्द-ए-दिल को मैं,सुनने वाले तो बहुत हैं, समझने वाला कोई नही…
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर दिल में जगाया आपनेपहले तो मैं, शायर था, आशिक़ बनाया आपने….!!!
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए दिल भी न किसी से कह सकेऔर आह भी न हम दबी रख सके
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए दिल भी न किसी से कह सकेऔर आह भी न हम दबी रख सके
दर्द-ए-दिल
हमनें जब किया दर्द-ए-दिल बयां, तो शेर बन गया;लोगों ने सुना तो वाह वाह किया, दर्द और बढ़ गया;
मोहब्बत की पाक रूह मेरे साँसों में है;
ख़त लिखा जब गम कम करने के लिए तो गम और बढ़ गया।
दर्द-ए-दिल
तेरे हिसाब से अब और दिखा न जाएगा…. ज़ख्म अब नासूर बन गए हैं ज़िन्दगी …. मुझसे अब दर्द-ए-दिल और लिखा न जाएगा !दर्द-ए-दिल
नफरत की बिसात पर मोहब्बत की हसरतों नाकाम होती रही,दर्द ए दिल में कसक जिंदगी किसी मासूम की लम्हा दर लम्हा गुलजार होती गई।।।।
दर्द-ए-दिल
दर्द ए दिल को सीने में , छुपाना आ गया,मचलती हसरतों को अब , दबाना आ गया..
ना रखता हूँ उम्मीद ए वफा , एहले जहाँ में,
हसीन चेहरों से नकाब , हमें उठाना आ गया..
दर्द-ए-दिल
लिखु क्या आज वक्त का तकाजा हेैं,दर्द-ए-दिल अभी ताजा हैं,
दर्द
गिर पड़े हें आँसू मेरे कागज पे लिखते वक्त,लगता हें कलम में स्याही कम दिल में दर्द ज्यादा हैं!!!
दर्द-ए-दिल
वो लिखती रहीकागज पे अपना दर्द ए दिल
किसी को उसे पढ़कर
उससे इश्क हो गया
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए-दिल का इलाज़ कोई हक़ीम कर न पाया …..कुछ ऐसे ज़ख़्म मिले ज़िन्दगी से जिन्हे वक़्त भी भर न पाया !!दर्द-ए-दिल
बज़्म -ए- वफा मैं हमारी गरीबी ना पूछ,एक दर्द -ए- दिल है, वो भी किसी अज़ीज़ का दिया हुआ.
दर्द-ए-दिल
यह ग़ज़लों की दुनिया भी अजीब है;यहाँ आँसुओं का भी जाम बनाया जाता है;
कह भी देते हैं अगर दर्द-ए-दिल की दास्तान;
फिर भी वाह-वाह ही पुकारा जाता है।
दर्द-ए-दिल
गर लफ्ज़ों में कर सकते बयान इंतेहा-ए-दर्द-ए-दिल,लाख तेरा दिल पत्थर का सही, कब का मोम कर देते…..
दर्द-ए-दिल
मुझे दर्द-ए-ईश्क का मजा मालुम है….दर्द -ए-दिल की इंतहा मालुम है….
मुस्कुराने की दुआ न दो…पल भर मुस्कुराने
की सजा मालुम है..
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए-दिल जुदाई सहना आहसान नही होता,कीमती चीज़ का हर कोई काबिल नही होता
यह तो रब की मेहेरबानी है,
वरना दोस्त हर किसी के नसीब मैं नही होता
दर्द-ए-दिल
हल्का हल्का सा दर्द ए दिलहल्की हल्की ये ठंडी हवाएँ
तुम्हारा यादों में आने का
अंदाज ही अलग है…!
दर्द-ए-दिल
नासमझ तो वो ना थे इतना..के प्यार को हमारे समझ ना सके..
पेश किया दर्द-ए-दिल हमने नगमों मे..
उसे भी वो सिर्फ “शेर” समझ बैठे…
दर्द-ए-दिल
दर्द ए दिल की आह तुम न समझोगे कभीहर दर्द का मातम सरेआम नहीं होता.
दर्द-ए-दिल
हम तो उसको ही समझते हैं दर्द-ए-दिल… …वो जो बेवफाई भी दे तो आँचल भर लो ……
जाके दम तोड़े भी तो उसकी बाहों मे…. ..
उसे उम्मीद की लहरों का साहिल कर लो….
दर्द-ए-दिल
दर्द-ए-दिल को ताब आ जाए…..जिसमे तुम हो काश कहीं से वो ख़्वाब आ जाए !!दर्द-ए-दिल
हर घड़ी इक नया हादसा हो गयादर्द-ए-दिल यूँ बढ़ा, ख़ुद दवा हो गया
दर्द-ए-दिल
अभी से क्यों छलक आये तुम्हारी आँख में आंसू..!!अभी तो छेड़ी ही कहा हे दर्द-ए-दिल की दास्तान हमने..
दिल्लगी
महफ़िल में कर रहा था वो ग़ैरों से दिल्लगी ।अंदाज़े गिला यार का कितना था दिलनशीं ।।
दर्द-ए-दिल
जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैंदिल के बदले दर्द-ए-दिल लिया करते हैं
दर्द-ए-दिल
मुझे दर्द-ए-दिल का पता न थामुझे आप किसलिए मिल गए
मैं अकेले यूँ ही मजे में था
मुझे आप किसलिए मिल गए
दर्द-ए-दिल
उम्र भर ये मेरे दिल को तडपायेगा …!!!दर्द-ए-दिल अब मेरे साथ ही जायेगा …!!!
दर्द-ए-दिल
ज़हर की चुटकी ही मिल जाए बराए दर्द-ए-दिल!कुछ न कुछ तो चाहिए बाबा दवा-ए-दर्द-ए-दिल!!
दर्द-ए-दिल
रात को आराम से हूँ मैं न दिन को चैन से!हाए ऐ वहशते दिल, हाए हाए दर्द-ए-दिल!!
दर्द-ए-दिल
मोहब्बत करने वालों का यही हश्र होता है,दर्द-ए-दिल होता है, दर्द-ए-जिगर होता है,
बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं,
खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
दिल को दुखाने वाले
रूठ कर हमसे सदा के लिए जाने वाले ।बेवज़ह बेसबब ही दिल को दुखाने वाले ।।
मेरी मजबूरियों को गर कभी समझा होता ।
मेरे सीने से लिपट जाता रुलाने वाले ।।
चादर इश्क़
चलते हैं अंगारों पर ओढ़े चादर इश्क़ कीथाम लेते हैं पलको पर अश्क-ए-तूफान को
सुलगते हैं दर्द -ए-दिल में लिए याद महबूब की
आंसूओं में ना बहाते रिसते हुए “जख्म” को